मंगलवार, 12 जुलाई 2011

7-- भाव - सार

7-- भाव - सार

                                             
प्रथम भाव इसे जन्म-भाव 
इसमें वह राशि होती है , जो जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जन्म स्थान पर उदय हो रही होती है .
इसमें जन्म की बातें , जन्म की जाति , शरीर का रंग , शरीर का कद . सिर , अपना आपा , सम्पूर्ण शरीर , आयु , रोग , यश एवं प्रतिष्ठा , उन्नति , धन , दिमाग आदि का विचार किया जाता है .

द्वितीय- भाव __ धन-भाव
इससे धन , कुटुंब , माता के बड़े भाई- बहन , वाणी - मुख . मारक - विचार , राज - पुत्र , राज्य - सभा , आँख आदि का विचार किया जाता है.

तृतीय - भाव __ श्रम- भाव 
इसको भात्रि या सहज - भाव कहते हैं , इससे छोटे-भाई -बहन , मित्र , पड़ौसी , छोटी यात्रा , अपना आपा , बाहु , सांस की नली , साहस , श्रम इत्यादि का विचार किया जाता है .

चतुर्थ-भाव __ मन , इच्छा , रूचि वेदना
इसको माता का भाव भी कहते हैं . इससे जन्म-भूमि , रहने का मकान ( RESIDENCE ) , जायदाद , कृषि , पाताल , जनता , वाहन ( CONVEYNENCE ) इत्यादि का विचार किया जाता है .

पंचम- भाव _ बुद्धि , सन्तान
इसको पुत्र-भाव भी कहते हैं . इससे सन्तान , गर्भ , प्रतिभा , बुद्धि , इष्टदेव , प्रतियोगी परीक्षा , सट्टे का व्यापार , भाग्य , पिता का भाग्य , किसी के प्रेम में फंसना , बड़ी बहन का पति , पेट , ह्रदय आदि का विचार किया जाता है .

षष्ठ - भाव __ नीति , शत्रु , रोग , ऋण
यह नीति एवं व्यावहारिक ज्ञान का भाव है . इसको शत्रु-भाव भी कहते हैं . इससे शत्रु , क्षत ( चोट-घाव ) , ऋण , रकावट , अभाव , मामा , अंतड़ियाँ , कारागार , म्लेच्छ , अन्यत्व आदि का विचार किया जाता है .

सप्तम - भाव __ जाया या स्त्री , वीर्य
इस भाव से स्त्री , कामवासना , वीर्य , पति , मूत्रेन्द्रिय , प्रयत्न , शूरता , व्यापार , यात्रा आदि का विचार किया जाता है .

अष्टम - भाव ___ आयु , मृत्यु
इसको आयु या मृत्यु भाव कहते हैं . इससे मृत्यु के कारण , गम्भीर बीमारी , विदेश , महा कष्ट , नाश , पुरातत्त्व , पाप , अंडकोष , बड़े मामा की पत्नी आदि पर विचार किया जाता है . 

नवम- भाव ___ धर्म या भाग्य  
इसको भाग्य या धर्म भाव कहत हैं . इससे भाग्य , धर्म का विचार किया जाता है . इसमें व्यवसाय , उन्नति , पिता , शुभ कर्म , पुत्र , उच्च विद्या , अध्यात्म - योग के साथ-साथ नितम्ब , छोटे भाई की पत्नी , छोटी बहन का पति , पत्नी का छोटा भाई , तप , उच्च विचार आदि का विचार किया जाता है .


दशम- भाव__ धार्मिक- कार्य

परन्तु धर्म धार्मिक भाव के बिना टिक नहीं सकता . यही कारण है कि दशम - भाव से ' धार्मिक कर्म ' का विचार किया जाता है . इन्हीं धार्मिक कार्यों ( MERITORIOUS DEEDS ) धर्म की महत्ता बढ़ती है . इसके अंतर्गत यज्ञीय कर्म , सेवा-कार्य , वर्णाश्रम उचित कर्म , परोपकार आदि आते हैं .
ता है . 

एकादश - भाव __ लाभ या निष्काम कर्म 
यह लाभ भाव है . इससे धन की प्राप्ति , बड़ा भाई - बहिन , ऊंचाई , टांग का निचला भाग , पुत्रवधू , दामाद , चोट-रोग आदि का विचार किया जाता है .

द्वादश - भाव __ मोक्ष या व्यय एवं अपव्यय
इसको मोक्ष - भाव के साथ - साथ संसारिकता में व्यय या अपव्यय का भाव कहते हैं . इसमें आँख , त्याग , मामी , नींद , कम-सुख , कारागार एवं प्रथकता आदि पर विचार दशम - भाव __  कर्म या धार्मिक कार्य
इसको कर्म या धार्मिक भाव कहते हैं . इससे मनुष्य के अच्छे-बुरे , कामधंधा , पैत्रिक सम्पत्ति , राज्य , राजा का यश, मान -सम्मान ,प्रशंसा आदि पर विचार किया जाकिया जाता है .*******
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