नव ग्रहों में से प्रत्येक ग्रह संसार की वस्तुओं , जीवों , स्थितियों , संस्थाओं का कोई न कोई अंश अपने अंदर लिए हुवे है . अत: प्रत्येक ग्रह किन्हीं विशेष गुण-दोषों का प्रतिनिधित्व करता है और मनुष्य पर अपने प्रभाव द्वारा उसके अपने ही गुण-दोषों के अनुरूप बना देता है . इस तथ्य का वर्गीकरण करते हुवे हमारे ऋषियों ने इस सत्य को इस प्रकार व्यक्त किया कि अमुक ग्रह अमुक ' गुण ' , 'अवस्था ' , ' रंग ' , ' दिशा ' , 'धातु ' , ' अंग ' आदि का कारक है . इस कारकत्व का संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार है _
- सूर्य __ आत्मा , पिता , राजा , हड्डी , आँख , ह्रदय , पेट , धनाड्य लोग , आग , उजाला , राज्य , नारंगी रंग , माणिक और पूर्व-दिशा .
- चन्द्र __ मन , माता , रानी , रक्त , आँख . फेफड़े , छाती , जनता , स्मरण शक्ति , आवेग तथा कामनाएं ( EMOTIONS AND DESIRES ) , पानी , श्वेत रंग , चांदी , मोती और उत्तर -पश्चिम दिशा .3 . मंगल __ वीरता , पुरुषार्थ , छोटे सगे भाई , रक्षा-विभाग , पट्ठे , सिर , अंडकोष , चोरी , क्षत , चातुर्य , हड्डी का आंतरिक भाग मज्जा ( MARROW OF THE BONE ) , हिंसा-प्रियता , मूंगा और दक्षिण दिशा .4 . बुध __ वाणी , बालक , त्वचा , व्यापारी , साँस की नली , अंतड़ियाँ , हरा रंग , मामा , बुद्धि-चेतना , तीनों धातु , मिश्रित वस्तु , खेल-कूद , हंसी - मजाक , नपुंसकत्व , कलई धातु , लिखना-पढ़ना और उत्तर दिशा .5 . बृहस्पति __ ज्ञान -गौरव , बडप्पन , चर्बी , जिगर ( LIVER ) , पीला रंग , बेटा , बड़ा सगा भाई , धन-दौलत , स्त्री की कुंडली में उसका पति , पैर , नितम्ब , राज्य कृपा , वायु , पुखराज और उत्तर -पूर्वी दिशा .6 . शुक्र __ स्त्री , वीर्य , मुख , गला , गुप्तेन्द्रिय , पुरुषार्थ , काम-वासना , बढ़िया वस्तु , बढ़िया पसंद ( refined taste ) , प्रेम , संगीत , भागीदारी , जल , हीरा और दक्षिण-पूर्व दिशा .7 . शनि __ स्त्रीलिंग , ठंडक , नपुंसकत्व , पत्थर , नौकर , नीच , श्रम , टांग का बीच वाला तथा निचला भाग , रोग , अंधकार , रकावट , पृथकता , विष , दीर्घ प्रभाव , अल्पगति , कर्कश वाणी , बैरागी , योगी , दार्शनिक , वायु-स्नायु - अभावात्मक , लोहा , पेट्रोल , चमडा व तेल तथा काला रंग .8. राहु __ शरीर के अवयवों को छोड़कर प्राय: वे सब गुण और दोष राहु में हैं , जो कि शनि में पाए जाते हैं . इसीलिए ' शनिवत राहु ' कहा गया है . नीलम .
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